CP hindi grade 9 (2024-25)

 Movie -12th Fail

Grade – IX

Subject- Hindi

िल्म में संघर्षों के सफर को बहुत खूबसूरती से दिखाया गया तनाव की स्थिति में भी कुछ किरदारों ने हमें एक तरफ खूब हँसाया, तो दूसरी तरफ खूब रुलाया भी गौरी भईया, श्रद्धा, प्रीतम पांडे जैसे सच्चे मित्रों ने सिद्ध कर दिया कि अगर आपके जीवन में अच्छे मार्गदर्शक है या मित्र हैं ,तो वह किसी देव दू से कम नहीं होते उनकी मित्रता को देखकर सच में यह पंक्तियाँ याद आती हैं-


तेरे साथ जब मैं खड़ा होता हूँ ,

तो सच मैं कयामत के हर तूफान से बड़ा होता हूँ


हमने पूरी फिल्में में इन सभी को एक दूसरे का सहारा बनकर आगे बढ़ते हुए देखा मुखर्जी नगर में बैठकर ,कभी चाय पीकर, तो कभी कविता गाकर,इन्होंने इस नगर को ही जिंदा कर दिया पारिवारिक समस्याओं से उभरना तो मनोज का लक्ष्य था ही, लेकिन श्रद्धा को पाने की चाह ने उसे इन कठिन परिस्थितियों से भी लड़ने के लिए प्रेरित किया 


ऐसा नहीं था कि सभी मित्र सिर्फ मनोज क लिए  मजबूत ढ थे अपितु एक सीन में तो हमने श्रद्धा और मनोज दोनों को प्रीतम को नई दिशा दिखाते हुए देखा जब वह परीक्षा में फेल हो गया, तो इन दोनों के संवाद थे-


 तुम तो झूठ को भी सच की तरह बोलते हो, तुम न्यूज़ रिपोर्टर क्यों नहीं बनजाते ?


सच जो प्रतिभा उसके घर वाले नहीं देख पाए, वह उसके दोस्तों ने समझ लीउसकी दादी का भी उस पर अटूट विश्वास उसकी दयनीय स्थिति से उभरने में सहायक सिद्ध हुआ। खुद के प्रति ईमानदार रहो ,मनोज ने अपने किरदार के द्वारा ही सिखाया इंटरव्यू के लिए उसने बहुत अच्छे ढंग से अपने आप को तैयार किया, बूट पहने, पैंट-कोट पहना और प्रीतम इ के घर जाकर न केवल उसे माफ किया बल्कि उसे गले भी लगाया


हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा ” 


उसके पिताजी द्वारा दोहराई जाने वाली  पंक्तियों  , कभी उसके लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी, तो कभी उसके पिताजी के लिए


खुद से ही जीतने की अगर जिद्द है ,

और खुद को ही हराना है 

तो भीड़ न ब दुनिया की,

क्योंकि तुम्हारे अंदर ही ज़माना है

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